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कई हजारों वर्षों से भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि अवतार की प्रतीक्षा में हैं ये सात महापुरुष । हिन्दू धर्म में वर्णित सात ऐसे दिव्य पुरुष हैं जिन्हें अमरता का वरदान प्राप्त है अर्थात वे सतयुग द्वापर युग से लेकर अभी के समय इस कलयुग में भी जीवित हैं और वे सभी अष्ट सिद्धियां और दिव्य शक्तियों से संपन्न हैं लेकिन यह सात महान दिव्य पुरुष किसी न किसी नियम वचन या श्राप से बंधे हुए हैं और हम मनुष्यों की भांति वे भी मुक्ति या मोक्ष की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु के कल्कि अवतार की प्रतीक्षा में आज भी इस कलयुग में जी रहे हैं तो इन दिव्य पुरुषों में से सबसे पहले चिरंजीवी महापुरूष हैं रुद्रावतार श्री रामभक्त हनुमान । हनुमानजी श्रीराम के महान भक्त हैं । भगवान श्री राम के बाद यदि किसी का नाम सबसे ज्यादा स्मरण किया जाता है तो वह है हिन्दू धर्म के सबसे ताकतवर और सबसे लोकप्रिय हनुमानजी । रामायण काल में जन्में हनुमानजी महाभारतकाल में भी जीवित थे । ये तो हम सब जानते हैं कि हनुमानजी को माता सीता द्वारा चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है और भगवान श्रीराम द्वारा इस कलयुग के अंत तक धर्म एवं राम कथा का प्रचार करने का आज्ञा मिला है । तो शायद इसीलिए हनुमानजी के जीवित होने के प्रमाण आज भी कई जगहों पर मिलते रहते हैं । इस कलयुग के अंत में जब भगवान कल्कि इस पृथ्वी लोक पर अवतरित होंगे तब एक समय ऐसा आएगा जब हनुमानजी को पुनः भगवान कल्कि के रूप में श्रीराम जी के दर्शन होंगे और तब श्रीराम द्वारा दिए उन वचनों का कार्यकाल भी समाप्त हो जाएगा और हनुमानजी जो भगवान शिव के अवतार हैं वे पुनः शिव में समा जाएंगे । अगर आप हनुमानजी के भक्त हैं तो इस वीडियो को लाइक कर के कमेंट

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में जैसे राम जरूर लिखें तो दूसरे चिरंजीवी महापुरूष हैं । परशुराम जी परशुरामजी भगवान विष्णु के छठवें अवतार हैं । परशुराम जी चिरंजीवी होने के कारण रामायण और महाभारत काल में भी दिखे थे और ऐसी भी एक मान्यता है कि परशुराम जी ने 21 बार पृथ्वी से समस्त क्षत्रिय राजाओं का अंत किया था । परशुराम जी पितामह भीष्म कर्ण और गुरु द्रोणाचार्य के गुरु भी थे और पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कल्कि के गुरु भी परशुराम जी ही बनेंगे जो कि इस समय महेंद्र गिरी पर्वत पर तपस्या में लीन होकर कल्कि अवतार की प्रतीक्षा में हैं तो तीसरे चिरंजीवी महापुरूष हैं अश्वत्थामा अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे जो आज भी इस पृथ्वी लोक पर मुक्ति के लिए भटक रहे हैं । जब महाभारत का युद्ध हुआ था तब अश्वत्थामा ने कौरवों का साथ दिया था । धर्मग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रह्मास्त्र चलाने के कारण अश्वत्थामा को कलयुग के अंत तक भटकने का श्राप दिया था । अश्वत्थामा के संबंध में प्रचलित मान्यता है के मध्यप्रदेश के असीरगढ़ किले में मौजूद प्राचीन शिव मंदिर में अश्वत्थामा हर दिन भगवान शिव की पूजा करने आते हैं । अश्वत्थामा जैसे महान योद्धा भी द्वापर युग से मुक्ति के लिए इस कलयुग का अंत करने वाले कल्कि अवतार की प्रतीक्षा में हैं तो चौथे चिरंजीवी दिव्य पुरुष हैं । महर्षि व्यास ऋषि व्यास को वेदव्यास के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने ही चारों वेद और अठारह पुराण समेत महाभारत और श्रीमद् भागवत गीता की रचना की थी । ऋषि व्यास जी ने कल्कि अवतार के जन्म से पहले ही भगवान कल्कि के बारे में ग्रंथों में लिख दिया था । ऋषि व्यास जी बहुत बड़े तपस्वी होने के कारण आज भी इस कलयुग में भगवान कल्कि के दर्शन के लिए तपस्या में लीन होकर

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प्रतीक्षा कर रहे हैं तो पाँचवे चिरंजीवी महापुरूष हैं लंकाधिपति राजा विभीषण । राजा विभीषण श्रीराम के अनन्य भक्त हैं । जब रावण ने माता सीता का हरण किया था तब विभीषण ने श्रीराम से शत्रुता न करने को बहुत समझाया था । इस बात पर रावण ने विभीषण को लंका से निकाल दिया । तब विभीषण श्रीराम की सेवा में चले गए और रावण के अधर्म को मिटाने में धर्म का साथ दिया । इसीलिए भगवान श्रीराम ने विभीषण को चिरंजीवी होने का वरदान दिया जो कि इस कलयुग के अंत तक वे भी जीवित रहेंगे तो छठवे चिरंजीवी महापुरूष हैं राजा बली राजा बलि के दान के चर्चे हर किसी ने तो सुना होगा लेकिन राजा बलि के घमंड को चूर करने के लिए भगवान विष्णु ने ब्राह्मण का वेश धारण कर राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी थी । राजा बलि ने कहा था जहां तक आपकी इच्छा हो तीन पैर रख दो तो भगवान ने अपना विराट रूप धारण कर दो पदों में ही तीनों लोक नाप दिए और तीसरा पैर राजा बलि के सर पर रखकर उन्हें पाताल लोक भेज दिया । शास्त्रों के अनुसार राजा बलि भक्त प्रहलाद के वंशज हैं और पाताल लोक में राजा बलि आज भी जीवित हैं तो सातवें महापुरुष हैं । कृपाचार्य संस्कृत ग्रंथों में कृपाचार्य को चिरंजीवी के रूप में बताया गया है । कृपाचार्य अश्वत्थामा के मामा और पांडवों और कौरवों के युवा स्थिति में आचार्य थे । भागवत के अनुसार कृपाचार्य की गणना सप्त ऋषियों में की जाती है । वह उन अठारह महान योद्धाओं में से एक हैं जो महाभारत युद्ध के समाप्त होने के बाद भी जीवित थे । तो दोस्तों ये थे सात महान दिव्य पुरुष जो कई हजारों सालों से किसी न किसी नियम वचन या श्राप से मुक्ति पाने

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के लिए भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि अवतार की प्रतीक्षा में इस कलियुग में जी रहे हैं । कल्कि अवतार जो कि इस कलयुग के अंत में होगा और तब भगवान कल्कि इन सात दिव्य पुरुषों के मार्गदर्शित बनकर इस पृथ्वी से सभी आदमियों का विनाश कर पुनः सतयुग की शुरुआत करेंगे । कल्कि अवतार से जुड़े कोई भी सवाल या सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं और इस वीडियो को लाइक करना न भूलें । ऐसे ही और भी विडियोज देखने के लिए आप हमारे चैनल राइस डिस्कवरी को सब्सक्राइब कर सकते हैं तो फिर मिलता हूं अगली वीडियो में जयहिन्द ।