भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ | Bhagwan Shiv Ka Janam Kaise Hua In Hindi 2017
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- 26 Oct 2020
हेलो दोस्तो स्वागत आपका मेरे यूटयूब चैनल पर जिसका नाम है ज्ञान ही ज्ञान । पर आज हम जिस स्टॉपेज पर बात करने वाले हैं वह टॉपिक यह शिव का जन्म कैसे हुआ । बहुत से लोग बहुत तरह से सवाल पूछते हैं और जानकारी न होने की वजह से या अधूरी जानकारी के कारण वे बेवजह गलत बातें करते हैं । बहुत से लोग पूछते हैं शिवलिंग क्या है लोग इस लिंग की पूजा क्यों करते हैं शिव का जन्म कैसे हुआ और कब हुआ । तो चलिए आज इस विषय में हम थोड़ी बात करते हैं । किसी भी किसी पुराण या किसी और दूसरी जगह दूसरी चीजों में भगवान शिव के जन्म के बारे में कुछ नहीं लिखा गया है । भगवान शिव के बारे में कहा जाता है कि शिव निराकार है जिसका कोई रूप नहीं होता । लोग जिसे अल्लाह या गॉड बोलते हैं सब एक ही है उनका रूप किसी इंसान की तरह नहीं है वह किसी आकार शब्दों और ज्ञान की सीमा से परे हैं । वो बस एक बिन्दु हैं जब भगवान शिव ने सोचा कि सृष्टि का निर्माण किया जाए । तब उन्होंने भगवान विष्णु को जन्म दिया और विष्णु भगवान के नाभी से भगवान ब्रह्मा उत्पन्न हुए लेकिन जब दोनों का जन्म हुआ तो उन्हें ये ही नहीं पता था कि वो कहां से आये हैं । कैसे आये हैं दोनों ही बहुत शक्तिशाली थे और बात बात में दोनों में बहस शुरू हो गयी कि कौन ज्यादा शक्तिशाली है कौन बड़ा है । इसी बात पर वो आपस में ही लड़ने लगे । ये युद्ध करीबन 10 हजार सालों तक चला । तब भगवान शिव एक विशाल पत्थर के रूप में दोनों के बीच में आ गए जिसमें से बहुत शक्तिशाली ज्वाला निकल रही थी और फिर से आकाशवाणी हुई कि
जो इस लिंग का आरंभ या अंत पा लेगा वो ही सबसे शक्तिशाली होगा । भगवान् विष्णु नीचे की तरफ गए और ब्रह्मा ऊपर की तरफ जब बहुत सालों तक भगवान विष्णु को लिंग का अंत नहीं मिला तो वो वापस आये और उन्होंने कहा हे महान शक्तिशाली बंधु इसका कोई अंत नहीं है मुझे माफ करे ये मेरी अज्ञानता थी कि मैं खुद को सबसे शक्तिशाली समझ रहा था । ब्रह्मा जी को लिंग का आरंभ नहीं मिला पर उन्होंने सोचा मैं जाकर कह देता हूँ कि मुझे आराम मिल गया है फिर मैं विष्णु से बड़ा माना जाऊंगा । ये सोच कर वो वापस आये पर घमंड में बोले मैंने लिंग का आरम्भ खोज लिया है । तब फिर आकाशवाणी हुई ये शिव लिंग है और मेरा कोई आकार नहीं है । मैं निरंकार हूँ और शिवजी तो सब कुछ जानते ही थे तो उन्होंने भगवान विष्णु को आशीर्वाद दिया और ब्रह्मा को झूठा बोलने के लिए श्राप दिया कि तुम्हारी कभी भी पूजा नहीं होगी । तब ब्रह्मा ने अपनी गलती के लिए माफी मांगी और फिर भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया । तबसे भगवान शिव को शिवलिंग के रूप में पूजा गया । तब भगवान ब्रह्मा और विष्णु ने उनसे प्रार्थना की कि भगवान आप हमारे जैसे समान रूप में हमारे साथ रहें तब उस लिंग से भगवान शिव बाहर आये जिन्हें शिव शंकर महादेव कहा गया जो शिव के रूप में हैं जैसे कि विष्णु और ब्रम्हा उन भगवान शिव शंकर के पाँच मुंह थे और उनकी पत्नी माता का बिक्री के भी पाँच मीठे माता गायत्री ही माँ शक्ति सती और वही माता पार्वती थी । माता गायत्री को प्राकृतिक भी कहा जाता है जिनकी हम सब पूजा करते हैं वो भभूत बहुत स्वाहा मंत्र का जाप कर पूजा करते हैं । जितने भी
देवी देवता भगवान विष्णु ब्रह्मा और शिव शंकर आँखे बंद करके ध्यान करते हैं वह सब भगवान शिव का ही नमन करते हैं । ऐसा भी कहा जाता है ये तो कोई समझ ही नहीं पाया कि ब्रह्मा विष्णु महेश है कौन । ये तीनों जब मिलते हैं तो ज्योति का एक बिन्दु बनता है जिससे सारा संसार है । विष्णु और महेश तीनों एक ही हैं । कोई बड़ा या छोटा नहीं है । संसार चलाने के लिए शिवजी अपना विस्तार कर विष्णु प्रजा पालक ब्रह्मा जनम देने वाले और जरूरत पड़ने पर विष भी पीने वाले भगवान बने विष्णु शिव की पूजा करते हैं । शिवजी विष्णु की पूजा करते हैं और तीनों ही सर्वश्रेष्ठ हैं । कोई ऊपर नीचे नहीं । भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ इस बात का जवाब यही है । भगवान शिव का ना ही कोई जन्म हुआ ना ही कोई मृत्यु । शिव की ना कोई शुरुआत है ना ही अंत हो निरंकार है उनका कोई आकार नहीं है । उनकी कोई उम्र नहीं है । जो चीज जन्म लेती है उसे मरना भी होता है जो शुरू होता है उसे खत्म भी होना होता है पर भगवान शिव इन सबसे परे हैं उनका कोई जन्म नहीं हुआ और ना ही उनका कोई अंत होगा । वो सबसे पहले हैं और सबसे अंत तक रहेंगे । भगवान शिव शंकर जिन्हें हम जानते हैं वो उस लिंग से बाहर आए । ये उनका जन्म नहीं था । ये बस एक आकार ग्रहण करना था अलग अलग लोगों की अलग अलग मान्यताएं हैं । कोई कुछ कहता है तो कोई कुछ पर सबसे बड़ा सच ये है है भगवान शिव हमेशा से हैं पर हमेशा रहेंगे । तो दोस्तो कैसी लगी आपको हमारी ये कहानी अगर अच्छी लगी तो प्लीज इसे लाइक करें शेयर करें
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