
Gulzar poetry ||Gulzar poetry in hindi ||(Hindi shayari)
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- 25 Oct 2020
उदास दिल है लेकिन । मिलता हूं हर किसी से । हंस की मांग सिर्फ । बस यही एक फन सीखा है मैंने । बहुत कुछ खो देने के बाद । बहुत एडवांस हो जाता है । उस वक्त इन्सान । जब वो किसी को खो भी नहीं सकता । और उसका हो भी नहीं सकता । मुझे रूम नहीं है । उससे बिछड़ जाने का । अफसोस बस इतना है कि । वह मेरा हो कर भी मेरा ना हो सका । साथ मेरे बैठा था । पर किसी और के करीब था । वह अपना सा लगने वाला शख्स । किसी और के नसीब में था । मेरी आँखों में पढ़ लेते हैं । तेरे इश्क की आयतें तो । किसी में इतना बस जाना भी अच्छा नहीं होता । लिबास का शौक रखते थे जो कभी । कह न पाएं आखिरी वक्त में की । यह कथन ठीक नहीं । जब जिंदगी में सब कुछ बुरा हो रहा हो । तो ये सोच कर सब्र कर लेना कि रोकर । फिर हंसने का मजा । कुछ और ही है ।