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गुस्सा हमारे सबसे बेस्ट के मोशन में से एक है जिसकी पॉजिटिव साइड भी होती है और नेगेटिव भी क्योंकि गुस्सा आपको काम करने या फिर बुराई के खिलाफ आवाज उठाने के लिए मोटिवेट कर सकता है या फिर वो आपकी और आपके आसपास रहने वाले लोगों की जिंदगी बद से बदतर बना सकता है । हम इस इमोशन को तब फील करते हैं जब हमारे साथ कुछ ऐसा होता है जिसे हमने पहले से एक्सपेक्ट नहीं करना होता । हम केवल कई केसेस में हमें यह पता भी नहीं होता कि हमें कौनसी चीज गुस्सा दिलाती है और हम बिना कुछ सोचे समझे किसी और का गुस्सा किसी और पर निकाल लेते हैं और बाद में गिल्टी फील करते हैं । इसे बोलते हैं डिस्प्ले जेंडर पर सिचुएशन और गुस्से का कंटेंट । चाहे कुछ भी हो । अगर आपका गुस्सा आपके कंट्रोल में नहीं है तो उसका मतलब ये है कि आपकी अन कोशिस माइन में कोई ऐसी इन्फॉर्मेशन है जिसे आपकी ईगो आपके कॉन्शस माइंड में आने से ब्लॉक करती है । एपल के तौर पर अगर आप एक रिलेशनशिप में हो आप अपने पार्टनर के साथ बहुत खुश हों । आप उसकी बहुत केयर करते हो और आप उससे भी यही एक्सपेक्ट करते हो कि बदले में वह आपकी केयर करे तो आप कभी भी इस आउटकम को प्रॉडक्ट ही नहीं करोगे कि आपका रिलेशनशिप खराब भी हो सकता है बल्कि आप इस थॉट को सीधा सीधा बेतुका बोल हो गए । पर जब आपको पता लगता है कि आपका पार्टनर आपको धोखा दे रहा है तब एकदम से आपको एक अपडेटेड या फिर अन्य आस्पेक्ट आउटकम मिल जाती है जिसको आपका इमोशनल सिस्टम एक थ्रेट यानी खतरे की तरह प्रोसेस करता है और आपके अंदर इमोशंस का एक धमाका सा हो जाता है जो आपको सोचने पर

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मजबूर करता है कि आपने इस रिलेशनशिप को समझने में कहां गलती करी और कैसे आप इस गलती से सीख सकते हो ताकि आप इसे रिपीट न करो । पर प्रॉब्लम तब आती है जब आप अपनी जिंदगी में मिले किसी ऐसे दुख से कुछ सीखने के बजाए अपने अंदर नाराजगी बढ़ लेते हो । आपको अपनी लाइफ में ऐसे बहुत से लोग मिलेंगे जो अपने पेरेंट्स अपने बॉयफ्रेंड गर्लफ्रेंड पब्लिकेशंस अपने कल्चर या एवं अपनी किस्मत से नाराज रहकर जिंदगी जीते हैं और ये चीज उन्हें काफी गुस्सैल बनाए रखती है । पर ज्यादातर लोग ये फैक्ट नहीं समझ पाते कि गुस्सा एक सेकंडरी इमोशन है और अगर हम इस गुस्से की जड़ तक जाएं तो हमें अपने सबसे प्राइमरी इमोशंस मिलते हैं जोकि है डर या दुख डर फ्यूचर की चिंता से रिलेटेड होता है और दुख पास में हुए नुकसान या निराशा से और जितना आप अपने डर या दुख को एक्सेप्ट नहीं करते हों उन्हें अपनी कॉन्शस थिंकिंग का पाठ नहीं बनाते हो उतना ही आप उन्हें गुस्से के रूप में एक्सप्रेस करने लगते हो । यही रीजन है कि जो लोग बोलते हैं कि वो अपने गुस्से को अपनी ताकत की तरह यूज करते हैं वो अपने डरों और दुखों को भुलाने के बजाए उन्हें फेस करते हैं और उनसे निकले गुस्से को प्रोडक्टिव एनर्जी में कन्वर्ट कर देते हैं । पर साइकॉलजी बताती है कि गुस्से से डील करने का ये तरीका भी सही नहीं है क्योंकि कई रिसर्च में पता चला है कि जब हम गुस्से में होते हैं तब हमारी कॉग्निटिव एबिलिटी कम हो जाती है और जो कुछ भी हमारे आसपास चल रहा होता है हम उसे भी ढंग से प्रोसेस नहीं कर पाते । इसके साथ ही गुस्से के टाइम हमें खतरनाक चीज से भी कम रिस्की लगने लगती है ।

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हमें ऐसा लगता है कि हम जो कुछ भी करेंगे वो सक्सेसफुल होगा और हम रियलिस्टिक ली ये भी ढंग से नहीं प्रेजेंट कर पाते कि हमारे ऐक्शन के कौन सीक्वेंस क्या होंगे । गुस्सा लिटरेसी हमारे सोचने और समझने की कैपेबिलिटी को ही कम कर देता है । इससे हमें ये समझ आता है कि जो इंसान ये बोलता है कि उसे कभी गुस्सा नहीं आता वो भी गलत है क्योंकि उसने अपने डरों और दुखों को कभी फेस नहीं कहा और जो इंसान हमेशा गुस्से में रहता है वो भी गलत है क्योंकि वो तो ढंग से सोच भी नहीं सकता । हमें बस तभी गुस्सा करना चाहिए जब एक पर्टिकुलर सिचुएशन हमारे इस इमोशन को डिमांड करती है । यानी गुस्से से डील करने का सही और हेल्दी तरीका होता है उसे अपनी कॉन्शस पर्सनैलिटी का पार्ट बनाना ताकि आप उसे कौन असली कंट्रोल कर सको ना कि वो आपको यूनियन साइकोलॉजी में इस तरीके को बोलते हैं । शैडो वर्क यानी अपनी डार्क साइड को फेस करना और समझना कि आप अपने किस डर दुख या वीकनेस को छुपा रहे हो । सो अपनी डार्क साइड को फेस करके अपने गुस्से को कंट्रोल करने की तीन एक्ससाइज हैं । पहली एक्ससाइज अपने राक्षस और जजमेंट को ऑब्जर्व करो । यानी जब भी कोई चीज आपको गुस्सा दिलाती है या फिर बहुत ज्यादा इरिटेट करती है । जैसे जब भी आप किसी बुरे इंसान के बारे में सुनते हो जिसने बहुत सारे लोगों को मारा तो आप फट से बोल देते हो कि अगर आप उसकी जगह पर होते तो आप वैसा काम बिल्कुल नहीं करते लेकिन आपकी ये जजमेंट आपके उस हिस्से के बारे में बताती है जिसे आप रिजेक्ट कर चुके हो । यानी आपका वो हिस्सा जो दूसरों के साथ बहुत बुरा कर सकता है

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और ये मत सोचो कि हम सिर्फ अपनी नेगेटिव पॉलिटिक्स को ही रिजेक्ट करते हैं क्योंकि अगर आपकी बचपन में कोई इंसान आपको क्रिएटिव कॉम्पिटिटिव या फिर फनी होने के लिए फुल महसूस कराता है तो आप इन क्वॉलिटीज को भी रिजेक्ट कर सकते हो और उसके बाद बड़े होने पर जब भी आपको ये सेम क्वॉलिटीज किसी और में दिखेंगी तब आप उन्हें जज करोगे और उन्हीं शेम फुल महसूस कराएंगे । ये । साइज हर इनसान के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि इस तरह से आप अपने आप को शीशे में देखकर ये समझ सकते हो कि आप किस तरह से अपने आप से झूठ बोलते हो और अपने आपको आगे बढ़ने से कैसे रोक रहे हो । सो जब भी आपके अंदर किसी चीज के लिए गुस्सा या जजमेंट आए तो उसे अब्जॉर्ब करो सोचो की वो चीज आपको इतनी तकलीफ क्यों देती है और ये एक्सेप्ट करो कि जिस क्वालिटी को अब दूसरों में रिजेक्ट कर रहे हो वो आपके अंदर भी है । अगर हम पहले वाले एग्जाम्पल को दोबारा यूज करें तो अगर आपका पार्टनर आपको चीट करता है और महीनों बाद भी अब उसी चीज की वजह से गुस्सा और नाराज हो तो अपने आप से ये मत बोलो कि ऐसा कैसे हो गया बल्कि आप खुद के अंदर मौजूद उस बुरी साइड को ढूंढो और समझो कि अगर आप उनकी जगह पर उनकी सेम सर सेंसस में होते तो आप भी चीट करते । और अगर आप इस फैक्ट को एक्सेप्ट नहीं कर सकते या फिर अपनी जजमेंट में कभी भी कोई गलती नहीं ढूंढ सकते तो समझो कि आपको अभी और शैडो वर्क करने की जरूरत है । दूसरी एक्ससाइज अपने आप से क्वैश्चन करना चालू करो ये आइडिया आपको थोड़ा डरावना लग सकता है क्योंकि नॉर्मली ये बोला जाता है कि

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सिर्फ पागल लोग ही अपने आपसे बात करते हैं पर हमारे दिमाग में काफी सारे पार्ट्स ऐसे होते हैं जो हमारी कॉन्शस पर्सनालिटी से अलग होते हैं और उनकी अपनी ही थिंकिंग और मोटिवेशन चलनी होती हैं जिनसे हमारा ओवरऑल बिहेवियर इन्फ्लुएंजा होता है और तभी अगर आप अपने आप से कोई शख्स पूछना चालू करो कि आपको गुस्सा क्यों आता है अपने उस पर्टिकुलर सिचुएशन में कि गुस्सा करना या फिर आपको गुस्सा दिलाने वाली चीजों में कॉमन पैटर्न क्या है तो आपको इन कोशों से आंसर खुदबखुद मिलने लगेंगे । तीसरी एक्ससाइज अपनी अच्छी साइड को चैलेंज करो हमारे में से ज्यादातर लोग अपने आपको एक अच्छा इंसान मानते हैं पर ये सिर्फ हमारी एक साईड होती है और दूसरी साइड वो होती है जो हमारे से बुरे काम करवा सकती है । हम सोचते हैं कि हम कभी कुछ बुरा कर ही नहीं सकते जिसकी वजह से हम अपनी पर्सनालिटी के कई डीप पार्ट्स को रिजेक्ट कर देते हैं और हमें वो पार्ट्स दुनिया में दिखेंगे ये कभी एक्सपेक्ट नहीं करते जिसकी वजह से हमारी एक्सपेक्टेशन टूटने पर हमें गुस्सा आता है । सो अपने आपसे पूछना चालू करो कि आपके अंदर कौन कौन सी अच्छी क्वालिटीज हैं और उसके बाद उस लिस्ट में हर क्वालिटी का अपोजिट लिखो और अपने आपको उस अपोजिट क्वॉलिटी के साथ आइडेंटिफाई करने की कोशिश करें । जैसे अगर आप बोलते हों कि मैं तो लाइफ को बहुत मज़ाक में लेता हूं तो इसका मतलब आपने अपनी सीरियस पार्ट को अन कॉन्शस बनाकर रिजेक्ट कर रखा है । पर ये जैकेट पार्ट भी आपके बिहेवियर को आपकी डार्क साइड का हिस्सा बनकर कंट्रोल कर रहा है तो सही रास्ता यही होगा कि आप होल यानी कंप्लीट बनो ताकि लोग चाहे कुछ भी करें या फिर आपके साथ कुछ भी हो आपका गुस्सा

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हमेशा आपके कंट्रोल में रहेगा ।