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नामा गांव में हमेशा हरियाली थी । हरी भरी खेत फूलों की बाग घने पेड़ों से भरकर दिखने में बहुत आकर्षक और सुंदर था । उसी गांव में अभिराम और उसकी पत्नी स्वप्ना उसकी माता यशोदा और उसका पिता राजा के साथ मिलकर एक घर में रहते थे । वो उसके गांव से शहर तक गाड़ी चलाते हुए उसके परिवार का देखभाल करता था । एक दिन जब वो शहर में गाड़ी चला रहा था तो मास्क पहन के दो लोग उसकी गाड़ी में बैठते हैं जहां कोरोना वायरस नामक एक भयानक वायरस है और वो एक आदमी से दूसरे को बहुत जल्दी फैलता है । इसी डर से सरकार ने बच्चों के पाठशाला से लेकर बड़ों के कार्यालय तक सबको छुटटी दे दिया है । हां मैंने भी सुना है जब तक ये वायरस पूरी तरह से चले नहीं जाता है हमें भी हमारे गांव में रहना होगा यहां नहीं आना चाहिए । अब जब तक उन आदमियों को उनके घर छोड़ देता है बहुत देर हो जाती है और तब वो वहां से उसके घर चले जाता है । अगली सुबह वो एक बार में भी पड़ता है कि कोरोना वायरस नामक एक भयानक वाइरस बहुत तेजी से फैल रहा है और घर से बाहर निकलना सुरक्षित नहीं है और सभी को चेतावनी देते हुए मास्क पहन के घर पर रहने के लिए सरकार कहती है । कोरोना वायरस के बारे में ही शायद वो लोग कल काली में बात कर रहे थे । अगर घर से बाहर नहीं निकलेंगे तो मास्क पहनने की कोई ज़रूरत नहीं होगी । यह फैसला करके वो गाड़ी चलाने भी शहर नहीं जाता है और घर पर ही रहने का फैसला करता है । उसी गांव से शहर जाकर काम करने वाले कुछ लोगों को यह बात पता चलता है और उसके बाद वो

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उनके गांव वापस चले जाते हैं लेकिन इनमें से एक को वाइरस होने के कारण उससे एक के बाद एक को वायरस फैलता है । इस डर के कारण उस गांव में कोई भी उसके घर से बाहर नहीं निकलता है । ठीक उसी समय में अभिराम के पिता का सेहत बिगड़ जाता है और उन्हें अभिराम डॉक्टर के पास ले जाता है । जांच करने के बाद डॉक्टर कहता है कि उनको कोरोना वायरस है और उनका बिना मास्क के बाहर जाने के कारण ही आया है । और उनको दवाइयां देते हैं और कहते हैं कि घर के सभी सदस्यों को मास्क पहनना बहुत जरूरी है । मास का पहला जरूरी होने के कारण दवाइयां खरीदने के बाद बचे हुए पैसों के साथ अविराम मांस खरीदने जाता है । उस सारी गांव में सिर्फ एक दुकान में मांस मिलते हुए देख वह हैरान हो जाता है । सारे गांव में सिर्फ एक दुकान मांस बेचता है और चूंकि मांस पहनना बहुत जरूरी है । मुझे पक्का घर खरीदना होगा इसीलिए मांस खरीदने को दुकानदार के पास जाकर पूछता है एक मांस का क्या नाम है सिर्फ सार पैसा । कितने दो क्या मांस का दाम सौ रुपए है । जी इस पूरे गांव में सिर्फ मेरे दुकान में मांस मिलेगा । इसीलिए मैं जितने में बेचता हूं उतने में ही तुम्हें लेना होगा । मैंने सोचा कि दवाइयां लेने के बाद बचे पैसों से मैं मांस खरीद पाऊंगा । लेकिन अब इन पैसों से सिर्फ एक मांस खरीद पाऊंगा । पर मांस तो सभी को पहनना होगा । अब मैं क्या करूं । ऐसा सोचते हुए वो मांस खरीदे बिना उसके घर चले जाता है । मुझे कोई काम करके पैसे कमा के घर वालों के लिए मांस खरीदना होगा । इस सोच में पड़े हुए वो किसी से

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बात नहीं करता है और उसे ऐसे देख उसकी बीवी पूछती है । बहुत देर से देख रही हूं किस सोच में पड़े हुए आप । मांस खरीदने में दुकान गराज और ऐसे में अपनी बीवी को जो कुछ भी हुआ बताता है । उसकी पत्नी की बातें सुनकर वह सोच में पड़ जाती है । आपको मांस के बारे में सोचने की कोई जरूरत नहीं है । अगर आप मेरे विचार के अनुसार करेंगे तो सभी को मांस खा जाएगा । या कह रही हैं स्वप्ना । मेरे पास मौजूद पैसों से सभी को मांस के साथ आएगा । आप पहले मेरी बात मानकर कपड़ों की दुकान जाइए और आपके पास बचे पैसों से एक सादा कपड़ा खरीद के ले आए । उसकी बीवी के कहे के अनुसार ही अभिराम एक सादा कपड़ा खरीद कर उसकी बीवी को देता है । तब स्वप्ना उसके पास मौजूद पुरानी कैंची से उस कपड़े को कच्चे घर में पड़ी हुई पुरानी मशीन को ठीक करके पीस कटे हुए कपड़े को सिला के सबके लिए माँस बनाती है और बचे हुए कपड़े से कुछ और मांसल बनाकर उसके पति को देती है । उसमें सारे मांस को देख अभिराम आश्चर्य चकित रह जाता है । अगर सौ रुपए में इतनी मांस बना सकते हैं तो दुकान में एक मांस का सौदा क्यों है और जो लोग इस मांस का सौदा बन भी दे सकते हैं उनका क्या हाल होगा । आपसे मेरी तरह कोई मास्क न खरीद पाने के कारण दुखी नहीं रहेगा । ऐसे सोचने लगता है । मैं वैसे भी कोई काम नहीं कर रहा हूं । मांस के बिना कई लोग दुखी हैं और मांस भी महंगी है । इसीलिए अब मेरी बीवी से मांस सिर्फ के यहीं इसी गांव में बेचना शुरू करूंगा । और इतना ही नहीं तम नाम

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पर अगर मांस बेचूंगा तो इस गांव के सारे लोग मुझसे ही खरीद पाएंगे और अपनी अपनी सेहत का ख्याल रख पाएंगे । ये सोच कर उस बचे हुए मानकों को गांव में बेशक लगता है मांस पास सिर्फ 20 रुपये का एक मांस । खैर आइए आईए । उसके ऐसे कम दाम में बेचने पर बहुत सारे लोग उसके पास मांस खरीदने आते हैं । आए हुए पैसों से वो और सादा कपड़ा खरीदकर उसकी बीवी को सुनने के लिए देता है और उन आसनों को लगता है । ऐसे वो बहुत कम समय में खुद का दुकान लगाता है । जल्दी उसके नीचे काम करने के लिए लोगों को नौकरी पर लगाता है । एक दिन जब मेरा मांस बेच रहा था तो उस गांव के दुकानदार उसे देखता है । एक समय में मेरे पास मांस खरीदने के लिए पैसे भी नहीं थे । इस आदमी के पास और आप इसने खुद से दुकान लगाया है कम दाम पर मांस बेचने के कारण सभी के पास मांस खरीदने आ रहे हैं और मेरे पास कोई नहीं । कुछ भी करके इसे रोकना होगा वरना मेरा नुकसान हो जाएगा । यह फैसला करके सोचने लगता है । हां प्रात के समय में जब इसके दुकान में कोई नहीं रहेगा वहां के मांस को तो पंडे को और पैसों को चुरा लूंगा और तब देखूंगा कि ये मांस कैसे बनाएगा । हां । उसके फैसले के मुताबिक उस रात को शराब की दुकान से वो सब कुछ चुरा लेता है । सुबह के समय में जब दुकान खोलने आते हैं तो दुकान को खाली देख हैरान हो जाते हैं । हरि बाबरी से हमारी चीजें चोरी कर लिया है । अब हम सब देख बहुत दुखी होता है तभी काफी अभिराम तुम निराश मत हो । मुझे तुम पर विश्वास

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है । मास्क बनाने के लिए जरूरी कपड़ा मैं तुम्हें दूंगा और जब तुम्हारे पास पैसे होंगे तब मुझे लौटा देना । ऐसे उसे कपड़ा मिलने पर वो वापस आता है और मास्क बनवाता है और हमेशा की तरह बेचने लगता है । ऐसे बहुत दिन बीत जाते हैं कुछ दिन बाद मांस को बेचकर आए हुए पैसों को जमा करके अभिराम को लौटा देता है और हमेशा की तरह उसका व्यापार करते हुए खुश रहता है । अभिराम को हमेशा की तरह व्यापार करते हुए देख वो दुकानदार चौंक जाता है । कोई इंसान मेहनत से काम करते हुए ईमानदारी से उसका व्यापार चला रहा है । इसीलिए मेरी चोरी करने के बावजूद वो उसके दुकान को चला पा रहा है । अगर मैंने उसके दुकान से चुराए हुए मासूमों को अपनी दुकान में बेचा तो लोगों को पता चल जाएगा कि मैंने ही चोरी किया है और इन मालिकों का कोई उपयोग नहीं होगा । इससे बेहतर तो यही होगा कि मैं उस आदमी के पास जाकर उसे सच बताकर उसके सामान उसे लौटा दो तब ये मांस बेकार में नहीं जाएंगे और अबराम को भी समझाएगा कि मैं सुधर गया हूं । उसके फैसले के मुताबिक दुकानदार अभिराम के पास जाकर उसे सब सच बता देता है और उससे माफी मांगता है । और तो और उसके मांस भी लौटा देता है । अबराम उसके चुराए हुए मांस को वापस पाकर बहुत खुश होता है और वो हमेशा की तरह मास्क बनाते हुए उन्हें कम दाम में बेचते हुए अपने परिवार के साथ खुशी से जीता है ।